Tuesday, November 5, 2024

‘तुम’ - ‘आप’ (Published in Amar Ujala Kavya november 2021)

 https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/skand-shukla-tum-aap-1635696168896


तुम’ - ‘आप

 

तुमसे आप पर चले जाना;

यानी, कितना बदल जाना।

 

प्रीति, साहचर्य, सानिद्ध्य;

तुममें, एक निश्छल भावना।

 

लिहाज़, दूरी, अदब, अंतर;

आप में है विलगाना।

 

जीवन में, विरल ही होता,

तुम सदृश सम्बन्धों का बन पाना;

बन गये जो, सहेज वे रखना,

न उन्हें 'आप '  होने देना ।

 

स्कन्द शुक्ल


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